कंप्यूटर कम्युनिकेशन और नेटवर्क क्या है

कंप्यूटर कम्युनिकेशन और नेटवर्क क्या है?









कंप्यूटर कम्युनिकेशन और नेटवर्क का परिचय

आज के डिजिटल युग में कंप्यूटर केवल एक मशीन नहीं रह गया, बल्कि एक ऐसा माध्यम बन चुका है जो हमें दुनिया से जोड़ता है। चाहे मोबाइल में इंटरनेट चलाना हो, किसी ऑफिस में फाइलें शेयर करनी हों या घर के वाई-फाई का उपयोग करना हो — हर जगह एक ही चीज़ काम कर रही है, जिसे हम कंप्यूटर कम्युनिकेशन और नेटवर्क कहते हैं। यह तकनीक कंप्यूटरों को आपस में जोड़ती है ताकि वे आसानी से डेटा, जानकारी और संसाधन साझा कर सकें।

जब भी हम सोशल मीडिया पर मैसेज भेजते हैं, किसी वेबसाइट को ओपन करते हैं, या YouTube पर वीडियो देखते हैं, तब हमारा कंप्यूटर दूसरे कंप्यूटरों से बात करता है। इसी “बात करने” को आसान भाषा में कम्युनिकेशन कहा जाता है। जैसे इंसान एक-दूसरे से बातचीत करते हैं, वैसे ही कंप्यूटर भी अपनी भाषा और प्रोटोकॉल के माध्यम से एक-दूसरे के साथ जानकारी का आदान-प्रदान करते हैं।

नेटवर्क इस प्रक्रिया को और भी आसान बनाता है। नेटवर्क एक ऐसा सिस्टम है जो कई कंप्यूटर, मोबाइल, राउटर, स्विच और अन्य डिवाइसों को एक साथ जोड़कर काम करता है। कंप्यूटर नेटवर्क न केवल डेटा साझा करता है, बल्कि समय और संसाधन भी बचाता है। आज का पूरा इंटरनेट, मोबाइल कम्युनिकेशन, ईमेल, क्लाउड सेवा — सब इसी नेटवर्क पर आधारित है।

अगर आपके मन में यह सवाल आता है कि आखिर कंप्यूटर डेटा कैसे भेजते हैं? नेटवर्क के प्रकार कितने हैं? IP Address क्या होता है? या फिर नेटवर्क सुरक्षित कैसे बनता है? — तो यह लेख आपको सभी सवालों के जवाब बिल्कुल आसान और स्पष्ट भाषा में देगा।

आइए अब कदम-दर-कदम समझते हैं कि वास्तव में कंप्यूटर कम्युनिकेशन और नेटवर्क क्या है और यह कैसे काम करता है।

कंप्यूटर कम्युनिकेशन क्या होता है?

कंप्यूटर कम्युनिकेशन का मतलब है एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर तक जानकारी (Information) का आदान-प्रदान। यह जानकारी टेक्स्ट, फोटो, वीडियो, ऑडियो, फाइल या किसी भी प्रकार का डेटा हो सकती है। जब दो कंप्यूटर आपस में जुड़कर एक-दूसरे को डेटा भेजते या प्राप्त करते हैं, तो इसे कम्युनिकेशन कहा जाता है।

जैसे दो लोग एक-दूसरे से बात करने के लिए भाषा का इस्तेमाल करते हैं, वैसे ही कंप्यूटर भी डेटा भेजने के लिए अपनी एक मान्य भाषा का उपयोग करते हैं, जिसे प्रोटोकॉल कहा जाता है। कम्युनिकेशन बिना प्रोटोकॉल के संभव नहीं है क्योंकि इससे कंप्यूटर को समझ ही नहीं आएगा कि सामने वाला कौन-सी जानकारी भेज रहा है।

कंप्यूटर कम्युनिकेशन दो चीज़ों पर निर्भर करता है:

  1. सेंडर (Sender) – जो डेटा भेजता है
  2. रिसीवर (Receiver) – जो डेटा प्राप्त करता है

इन दोनों के बीच एक माध्यम (Medium) होता है, जैसे:

  • वायर (Cable)
  • वाई-फाई
  • रेडियो वेव
  • सैटेलाइट

आज के समय में कंप्यूटर कम्युनिकेशन जीवन का हिस्सा बन चुका है। ऑनलाइन मीटिंग, बैंकिंग, ईमेल, वीडियो कॉल—सब इसी पर आधारित हैं।

नेटवर्क क्या है? सरल भाषा में समझें

नेटवर्क कई कंप्यूटरों, मोबाइलों या इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों का समूह है, जो एक-दूसरे से जुड़े होते हैं और डेटा साझा करते हैं। अगर एक घर में आपके मोबाइल, लैपटॉप और टीवी एक ही वाई-फाई से जुड़े हुए हैं, तो यह भी एक छोटा नेटवर्क है।

नेटवर्क दो चीज़ों से बनता है:

  1. डिवाइस (Devices) – जैसे कंप्यूटर, मोबाइल, प्रिंटर
  2. लिंक्स (Links) – जो इन्हें जोड़ते हैं (केबल, वाई-फाई आदि)

नेटवर्क बनाने का उद्देश्य है —

  • जानकारी जल्दी साझा करना
  • फाइलें ट्रांसफर करना
  • इंटरनेट का उपयोग करना
  • संसाधनों को शेयर करना (जैसे प्रिंटर)

आज का इंटरनेट दुनिया का सबसे बड़ा नेटवर्क है, जिसे “नेटवर्क ऑफ नेटवर्क्स” कहा जाता है।

कंप्यूटर कम्युनिकेशन और नेटवर्क के बीच संबंध

कंप्यूटर कम्युनिकेशन और नेटवर्क दोनों एक-दूसरे पर निर्भर हैं।

  • कम्युनिकेशन वह प्रक्रिया है जिससे डेटा भेजा जाता है।
  • नेटवर्क वह सिस्टम है जो कई कंप्यूटरों को जोड़ता है।

अगर नेटवर्क न हो, तो कम्युनिकेशन असंभव हो जाएगा। और अगर कम्युनिकेशन की प्रक्रिया न हो, तो नेटवर्क बेकार हो जाएगा। 

                                   दोनों मिलकर हमारे डिजिटल जीवन को सुचारू बनाते हैं।

डेटा कम्युनिकेशन कैसे काम करता है?

डेटा कम्युनिकेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक डिवाइस से दूसरी डिवाइस तक जानकारी भेजी जाती है। यह प्रक्रिया देखने में आसान लगती है, लेकिन इसमें कई छोटे-छोटे तकनीकी चरण शामिल होते हैं। जब आप किसी वेबसाइट को ओपन करते हैं, मोबाइल में मैसेज भेजते हैं या किसी को फाइल शेयर करते हैं — हर बार जानकारी कई स्टेप्स से होकर गुजरती है।

सबसे पहले, कंप्यूटर डेटा को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देता है जिन्हें डेटा पैकेट कहा जाता है। इन पैकेट्स में असली डेटा के साथ-साथ यह भी जानकारी होती है कि डेटा कहां जाना है (Destination Address) और कहां से आया है (Source Address)। ये पैकेट नेटवर्क में उसी तरह घूमते हैं जैसे ट्रैफिक में गाड़ियाँ अपने रास्ते पर जाती हैं।

जब ये पैकेट इंटरनेट या नेटवर्क के माध्यम से चलते हैं, तो उनके रास्ते में राउटर, स्विच और कई अन्य नेटवर्क डिवाइस आते हैं, जो उन्हें सही दिशा में भेजते हैं। एक बार पैकेट अपनी मंज़िल यानी रिसीवर तक पहुँच जाते हैं, कंप्यूटर उन्हें फिर से जोड़कर पूरा डेटा बना देता है।

यही पूरी प्रक्रिया इतनी तेज़ी से होती है कि हमें महसूस भी नहीं होता कि कितना बड़ा सिस्टम हमारी छोटी-सी क्लिक के पीछे काम कर रहा है।

कंप्यूटर कम्युनिकेशन तकनीक और नेटवर्किंग इन्फ्रास्ट्रक्चर

डेटा ट्रांसमिशन के प्रकार

डेटा ट्रांसमिशन कई प्रकार का हो सकता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि भेजने और प्राप्त करने वाले डिवाइस कैसे एक-दूसरे से बातचीत करते हैं। मुख्यतः डेटा ट्रांसमिशन के तीन प्रकार होते हैं:

1. Simplex

इसमें डेटा केवल एक दिशा में जाता है। उदाहरण: टीवी प्रसारण। आप टीवी देखते हैं, लेकिन टीवी को कुछ भेज नहीं सकते।

2. Half Duplex

इसमें डेटा दोनों दिशाओं में जा सकता है, लेकिन एक समय में केवल एक दिशा में। जैसे वॉकी-टॉकी।

3. Full Duplex

इसमें डेटा दोनों दिशाओं में एक साथ भेजा और प्राप्त किया जा सकता है। जैसे मोबाइल कॉल।

नेटवर्क के मुख्य घटक

किसी भी कंप्यूटर नेटवर्क के कुछ महत्वपूर्ण घटक होते हैं जो पूरे सिस्टम को चलाते हैं। इनमें शामिल हैं:

1. Nodes

ये वे डिवाइस हैं जो नेटवर्क से जुड़े होते हैं, जैसे कंप्यूटर, मोबाइल, प्रिंटर आदि।

2. Links

ये वे माध्यम हैं जिनसे डेटा एक डिवाइस से दूसरी डिवाइस तक जाता है। उदाहरण:

  • केबल
  • वाई-फाई
  • ब्लूटूथ

3. Hardware Devices

ये नेटवर्क का आधार हैं। इनके बिना नेटवर्क काम नहीं कर सकता।

नेटवर्किंग डिवाइस और उनका उपयोग

आइए नेटवर्क में उपयोग होने वाले जरूरी डिवाइसों को समझते हैं:

Router

राउटर इंटरनेट को अलग-अलग डिवाइसों तक पहुंचाता है। जैसे घर का वाई-फाई राउटर।

Switch

स्विच कई कंप्यूटरों को एक नेटवर्क में जोड़ने के लिए इस्तेमाल होता है, खासकर ऑफिस में।

Hub

यह नेटवर्क में सिग्नल को सभी डिवाइसों में भेजता है। यह स्विच की तुलना में कम स्मार्ट होता है।

Modem

यह इंटरनेट सिग्नल को डिजिटल रूप में बदलता है ताकि कंप्यूटर उसे समझ सके।

Repeater

यह कमजोर सिग्नल को दोबारा मजबूत करता है ताकि डेटा दूर तक जा सके।

नेटवर्क के प्रकार

कंप्यूटर नेटवर्क कई प्रकार के होते हैं:

LAN (Local Area Network)

छोटे क्षेत्र जैसे घर, स्कूल या ऑफिस में उपयोग होता है।

MAN (Metropolitan Area Network)

पूरे शहर को कवर करता है। उदाहरण: शहर का केबल नेटवर्क।

WAN (Wide Area Network)

सबसे बड़ा नेटवर्क जिसमें इंटरनेट भी शामिल है।

PAN (Personal Area Network)

छोटा नेटवर्क, जैसे ब्लूटूथ।

नेटवर्क टोपोलॉजी के प्रकार और महत्व

टोपोलॉजी से पता चलता है कि नेटवर्क में डिवाइस कैसे जुड़े हुए हैं। इसके प्रकार हैं:

  • स्टार
  • बस
  • रिंग
  • मेश
  • ट्री

सही टोपोलॉजी नेटवर्क को तेज़ और सुरक्षित बनाती है।

IP Address क्या होता है?

IP Address कंप्यूटर या किसी भी नेटवर्क डिवाइस की पहचान (Identity) होता है। जैसे हर इंसान का आधार कार्ड नंबर या घर का पता होता है, उसी तरह इंटरनेट पर हर डिवाइस का एक यूनिक एड्रेस होता है, जिसे IP Address कहा जाता है।

जब भी आप कोई वेबसाइट ओपन करते हैं, ईमेल भेजते हैं या मोबाइल पर इंटरनेट चलाते हैं — आपका IP Address यह बताता है कि डेटा कहाँ भेजना है और कहाँ से आया है। अगर IP Address न हो तो डेटा इंटरनेट में खो जाएगा क्योंकि उसे मंज़िल ही पता नहीं होगी।

IP Address दो प्रकार के होते हैं:

1. IPv4 Address

यह पुराना और सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाला एड्रेस है, जैसे:
192.168.1.1

2. IPv6 Address

यह नया और लंबा एड्रेस है क्योंकि दुनिया में IP एड्रेस की कमी हो रही है, जैसे:
2001:0db8:85a3:0000:0000:8a2e:0370:7334

IP Address इंटरनेट का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि इसी से दुनिया भर के कंप्यूटर एक-दूसरे को पहचान पाते हैं।

MAC Address क्या होता है?

MAC Address वह यूनिक पहचान होती है जो हर कंप्यूटर, मोबाइल, लैपटॉप या नेटवर्क डिवाइस में जन्म से बनी होती है। इसे बदला नहीं जा सकता।

MAC Address नेटवर्क कार्ड (Network Interface Card) पर लिखा रहता है और यह हार्डवेयर का स्थायी Address होता है। इसे ऐसे समझें:

  • IP Address = आपका घर का पता
  • MAC Address = आपकी पहचान (जैसे फिंगरप्रिंट)

MAC Address का उपयोग लोकल नेटवर्क में डेटा भेजने और रिसीव करने के लिए किया जाता है। यह नेटवर्क सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्रोटोकॉल क्या होते हैं और क्यों जरूरी हैं?

प्रोटोकॉल वह नियम होते हैं जिनके आधार पर कंप्यूटर एक-दूसरे से बात करते हैं। जैसे इंसान बातचीत के लिए भाषा का उपयोग करते हैं, वैसे कंप्यूटर भी एक निश्चित भाषा और नियमों का पालन करते हैं। इन्हीं नियमों को नेटवर्क प्रोटोकॉल कहा जाता है।

बिना प्रोटोकॉल के, कंप्यूटर एक-दूसरे का डेटा समझ नहीं पाएंगे। इंटरनेट पर सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले प्रोटोकॉल हैं:

  • HTTP
  • HTTPS
  • FTP
  • TCP
  • IP
  • SMTP
  • POP3

प्रोटोकॉल यह तय करते हैं कि डेटा कैसे भेजा जाएगा, कैसे रिसीव होगा और कौन-सा कंप्यूटर डेटा प्राप्त करेगा।

OSI Model समझें – आसान शब्दों में

OSI Model कंप्यूटर नेटवर्किंग की एक मानक संरचना है जिसमें सात लेयर होती हैं। हर लेयर का अपना काम होता है। यह मॉडल डेटा को भेजने और प्राप्त करने की प्रक्रिया को आसान बनाता है।

7 लेयर इस प्रकार हैं:

  1. Physical
  2. Data Link
  3. Network
  4. Transport
  5. Session
  6. Presentation
  7. Application

अगर आप इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं, तो ये सात लेयर लगातार काम कर रही होती हैं और आपको पता भी नहीं चलता।

TCP/IP Model क्या है?

TCP/IP Model इंटरनेट पर डेटा भेजने का असली आधार है। इसमें केवल चार लेयर होती हैं:

  1. Network Access
  2. Internet
  3. Transport
  4. Application

TCP/IP Model दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण नेटवर्क मॉडल है। हर वेबसाइट, हर ऐप, हर नेटवर्क इसी पर आधारित है।

वायर्ड और वायरलेस नेटवर्क में अंतर

वायर्ड नेटवर्क

  • केबल का उपयोग
  • तेज़ स्पीड
  • ज्यादा सुरक्षा
  • कम इंटरफेरेंस

वायरलेस नेटवर्क

  • बिना तारों के
  • पोर्टेबल
  • आसानी से सेटअप
  • स्पीड कम या ज्यादा हो सकती है

दोनों की अपनी जरूरत और उपयोग के अनुसार विशेषताएँ हैं।

नेटवर्क सुरक्षा (Network Security) क्यों जरूरी है?

इंटरनेट जितना बड़ा है, खतरे भी उतने ही बड़े हैं। नेटवर्क सुरक्षा ऐसे उपायों का समूह है जो डेटा, सिस्टम और नेटवर्क को चोरी, हैकिंग और वायरस से बचाता है। अगर नेटवर्क सुरक्षा न हो, तो:

  • हैकर डेटा चुरा सकता है
  • बैंकिंग जानकारी चोरी हो सकती है
  • कंप्यूटर वायरस हमला कर सकता है
  • पूरा नेटवर्क बंद हो सकता है

इसलिए हर ऑनलाइन काम को सुरक्षित रखने के लिए मजबूत नेटवर्क सुरक्षा जरूरी है।

साइबर खतरों के प्रकार

  • Malware
  • Phishing
  • Ransomware
  • DDoS Attack
  • Spyware
  • Data Breach

ये खतरे व्यक्तिगत और व्यावसायिक दोनों तरह के नेटवर्क को नुकसान पहुँचा सकते हैं।

कंप्यूटर नेटवर्क डायग्राम में जुड़े कंप्यूटर और सर्वर

नेटवर्क सुरक्षा कैसे बढ़ाएँ?

  • मजबूत पासवर्ड का उपयोग
  • एंटीवायरस इंस्टॉल करें
  • फायरवॉल ऑन रखें
  • पब्लिक Wi-Fi से बचें
  • डेटा एन्क्रिप्शन का उपयोग
  • नियमित अपडेट करें

ये उपाय नेटवर्क को सुरक्षित बनाते हैं और डेटा चोरी होने के जोखिम को कम करते हैं।

कंप्यूटर नेटवर्क के फायदे

कंप्यूटर नेटवर्क हमारी रोज़मर्रा की डिजिटल दुनिया को आसान और तेज़ बनाने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके कई फायदे हैं, जो तकनीक को और भी प्रभावशाली बनाते हैं।

1. डेटा शेयरिंग आसान होती है

नेटवर्क की मदद से एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में फाइलें, फोटो, वीडियो या डॉक्यूमेंट तुरंत भेजे जा सकते हैं। यह काम पहले घंटों में होता था, लेकिन अब सेकंडों में हो जाता है।

2. संसाधन साझा किए जा सकते हैं

एक प्रिंटर, एक स्कैनर या एक इंटरनेट कनेक्शन—इन्हें कई कंप्यूटरों के बीच साझा किया जा सकता है। इससे खर्च भी कम होता है और काम भी तेज़ होता है।

3. तेज़ कम्युनिकेशन

ईमेल, चैट, वीडियो कॉल और ऑनलाइन मीटिंग—all नेटवर्क की बदौलत संभव हैं। यह कम्युनिकेशन को तेज़, आसान और कम खर्चीला बनाता है।

4. ऑनलाइन सर्विसेस तक पहुँच

नेटवर्क के बिना इंटरनेट चल ही नहीं सकता। बैंकिंग, सोशल मीडिया, ई-कॉमर्स, क्लाउड स्टोरेज—all कुछ कंप्यूटर नेटवर्क द्वारा ही संभव है।

5. सुरक्षा और बैकअप

नेटवर्किंग सिस्टम अक्सर ऑटोमेटेड बैकअप की सुविधा देते हैं जिससे डेटा सुरक्षित रहता है और जरूरत पड़ने पर आसानी से वापस पाया जा सकता है।

कंप्यूटर नेटवर्क की चुनौतियाँ

जहाँ नेटवर्क के कई फायदे हैं, वहीं कुछ चुनौतियाँ भी सामने आती हैं:

1. हैकिंग का खतरा

अगर नेटवर्क सुरक्षित नहीं है, तो हैकर आसानी से सिस्टम में घुस सकता है और डेटा चुरा सकता है।

2. वायरस का फैलना

एक कंप्यूटर में वायरस आने पर वह पूरे नेटवर्क में फैल सकता है, जिससे सभी डिवाइस प्रभावित हो जाते हैं।

3. मैनेजमेंट की समस्या

बड़ा नेटवर्क संभालना आसान नहीं होता। नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेटर को लगातार निगरानी करनी पड़ती है।

4. हार्डवेयर लागत

राउटर, स्विच, सर्वर जैसे उपकरण महंगे होते हैं, खासकर बड़े नेटवर्क में।

5. इंटरनेट पर निर्भरता

जैसे-जैसे नेटवर्क पर निर्भरता बढ़ती है, इंटरनेट फेल होने या सर्वर डाउन होने पर सभी काम रुक जाते हैं।

आज की दुनिया में नेटवर्क का महत्व

आज कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जहाँ कंप्यूटर नेटवर्क का उपयोग न हो रहा हो। बैंकिंग, शिक्षा, बिज़नेस, मेडिकल, सरकारी काम, एंटरटेनमेंट—सब जगह नेटवर्क की जरूरत है।

  • स्कूल और कॉलेज ऑनलाइन क्लास लेते हैं।
  • बैंकिंग सिस्टम पूरे देश में नेटवर्क पर चलता है।
  • ऑनलाइन खरीदारी सिर्फ नेटवर्क की वजह से संभव है।
  • इंटरनेट दुनिया का सबसे बड़ा नेटवर्क है जिसने पूरी दुनिया को जोड दिया है।

बिना नेटवर्क के आधुनिक जीवन लगभग असंभव हो चुका है।

कंप्यूटर कम्युनिकेशन का भविष्य

आने वाले वर्षों में कंप्यूटर कम्युनिकेशन और नेटवर्किंग और भी तेज़, सुरक्षित और स्मार्ट होने वाली है।
भविष्य में यह बदलाव देखने को मिल सकते हैं:

1. 6G नेटवर्क का आगमन

इंटरनेट स्पीड अत्यधिक तेज़ हो जाएगी और डेटा ट्रांसफर लगभग रीयल-टाइम होगा।

2. AI आधारित नेटवर्किंग

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नेटवर्क को स्मार्ट बनाएगी जो खुद समस्याएं पहचानकर हल कर सकेगा।

3. IoT का विस्तार

इंटरनेट ऑफ थिंग्स के जरिए घर के सभी उपकरण आपस में जुड़े रहेंगे।

4. क्वांटम नेटवर्क

ये नेटवर्क सुरक्षा को लगभग 100% अटूट बना देंगे।

5. उपग्रह आधारित इंटरनेट

दुनिया के हर कोने में इंटरनेट पहुंच सकेगा, चाहे वह पहाड़ हो या समुद्र।

निष्कर्ष

कंप्यूटर कम्युनिकेशन और नेटवर्क आज की डिजिटल दुनिया की रीढ़ बन चुके हैं। इनके बिना इंटरनेट, ऑनलाइन व्यापार, मोबाइल कम्युनिकेशन आदि कुछ भी संभव नहीं है।

कम्युनिकेशन कंप्यूटरों को आपस में बात करने की क्षमता देता है जबकि नेटवर्क उन्हें जोड़ने का माध्यम बनता है। प्रोटोकॉल, IP Address, सुरक्षा सिस्टम और नेटवर्क डिवाइस मिलकर इस पूरी प्रणाली को सुरक्षित और तेज़ बनाते हैं।

जैसे-जैसे तकनीक आगे बढ़ रही है, कंप्यूटर नेटवर्किंग दुनिया को और भी अधिक कनेक्टेड बनाती जा रही है। अगर हम सही तरीके से नेटवर्क का उपयोग करें और सुरक्षा का ध्यान रखें, तो यह तकनीक हमारे जीवन को और भी आसान बना सकती है।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

1. कंप्यूटर कम्युनिकेशन क्या होता है?

यह वह प्रक्रिया है जिसमें दो या अधिक कंप्यूटर डेटा या जानकारी का आदान-प्रदान करते हैं।

2. नेटवर्क कितने प्रकार के होते हैं?

मुख्य प्रकार हैं—LAN, MAN, WAN और PAN।

3. IP Address का उपयोग कहाँ होता है?

इंटरनेट पर किसी भी डिवाइस की पहचान करने और डेटा सही जगह भेजने के लिए।

4. नेटवर्क सुरक्षा क्यों जरूरी है?

यह डेटा को हैकिंग, वायरस और साइबर हमलों से बचाती है।

5. राउटर और स्विच में क्या अंतर है?

राउटर इंटरनेट को विभिन्न डिवाइसों तक पहुंचाता है जबकि स्विच लोकल नेटवर्क में डिवाइसों को जोड़ता है।

नेटवर्किंग हार्डवेयर जैसे राउटर, स्विच और केबल्स



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